मिला दे मेरे खुदा उससे अब

मिला दे मेरे खुदा उससे अब 



नहीं लगता है दिल अब किसी भी कोने में 

वजूद ढूंढ़ता हूं अपना दर बदर 

सुकून मिलता है बस रोने में ।।



कुछ ऐसा कह रही है 

आज कल तुम्हारी दीवारें 

हम इतने बुरे है 

फिर भी कोई हमेशा हम सा मांगती हो 



रेत सी फिसल रही है 

मेरे हाथो से उसके होने की लकीरें

ये खुदा या तो मिला दे

या मुझे उठा ले ।।



लगता है एक तरफा हो गया है इश्क़ मेरा

वरना बाजी आज भी मेरे ही हाथ मे है ।।

ना बुलाओ हमे उनकी महफ़िल में यारो 

हम वहीं है जिन्हे देख वो हसना छोड़ देते है ।।



माना एक तरफा है इश्क़ मेरा 

मगर सच कहूं तो सुकून बड़ा देता है ।।



अगर वक्त मिले तो हमसे भी बात कर लेना यार 

तुम्हारी याद ना तुम्हारे चुप रहने पर जायदा आती है ।।




नहीं जानता कि वो मुझे कितना करीब से जानती है 

बस मेरे खुदा ,, 

मेरे हर सपने में उसका होना मेरे लिए काफी है ।।



फ़िक्र हो काश तुमको भी मेरी 

मै हूं कि तुम्हारे जिक्र में ही ख़ामोश हो जाता हूं ।।



फ़िक्र इतनी है उसकी की बता नहीं सकता 

मगर थोड़ा सा बंधन अलग है यार हर वक्त जता भी तो नहीं सकता ।।



ये पता नहीं मुझे की जिंदगी जी कैसे मैंने 

मगर अगर तू है तो मेरे खुदा मुझे मरना उसकी गोद में ही है ।।

ढूंढ लो जगह मेरी लाश के लिए 

मेरे फरिश्ते मुझे ले जाने को बैठे है ।।



मिला दे मेरे खुदा उससे अब 

नहीं लगता है दिल अब किसी भी कोने में 

वजूद ढूंढ़ता हूं अपना दर बदर 

सुकून मिलता है बस रोने में ।।



कुछ ऐसा कह रही है 

आज कल तुम्हारी दीवारें 

हम इतने बुरे है 

फिर भी कोई हमेशा हम सा मांगती हो 



रेत सी फिसल रही है 

मेरे हाथो से उसके होने की लकीरें

ये खुदा या तो मिला दे

या मुझे उठा ले ।।




माना एक तरफा है इश्क़ मेरा 

मगर सच कहूं तो सुकून बड़ा देता है ।।



लगता है एक तरफा हो गया है इश्क़ मेरा

 वरना बाजी आज भी मेरे ही हाथ मे है ।।



अगर वक्त मिले तो हमसे भी बात कर लेना यार 

तुम्हारी याद ना तुम्हारे चुप रहने पर जायदा आती है ।।



नहीं जानता कि वो मुझे कितना करीब से जानती है 

बस मेरे खुदा ,, 

मेरे हर सपने में उसका होना मेरे लिए काफी है ।।



फ़िक्र हो काश तुमको भी मेरी 

मै हूं कि तुम्हारे जिक्र में ही ख़ामोश हो जाता हूं ।।



फ़िक्र इतनी है उसकी की बता नहीं सकता 

मगर थोड़ा सा बंधन अलग है यार हर वक्त जता भी तो नहीं सकता ।।



ना बुलाओ हमे उनकी महफ़िल में यारो 

हम वहीं है जिन्हे देख वो हसना छोड़ देते है ।।

क्या फर्क पड़ता उन्हें हमारी रुक्सती का 

हम तो थे ही बस मन भर लगाने के लिए ।।



पल पल तरसता रहा हूं मै

एक झलक के लिए 

और वो है कि

मिलने की दुआ भी नहीं करते ।।



ये पता नहीं मुझे की जिंदगी जी कैसे मैंने 

मगर अगर तू है तो मेरे खुदा मुझे मरना उसकी गोद में ही है ।।



टूट कर बिखरा है मेरा हर एक लम्हा 

यूं ही नहीं हम टूट कर रोए है 

पर फ़िक्र ना करना प्यार में कमी ना होगी 

क्युकी हम टूट सकते है पर बेइंतहा आपके प्यार में खोए है ।।




अजीब सी कसमकश में है दिल मेरा 

सोने ये देता नहीं और रो मै सकता नहीं ।।



आंखो ही आंखो में चला गए है वो वार 

अब कैसे बताए की हाले शमशिर क्या है ।।



क्यू छोड़ देते है लोग हाथ मेरा 

मै तो बच्चो सा बस उनकी ही फ़िक्र में लगा रहता हूं ।।



उनकी महफिलों में रुसवाई देखी है 

हा मैंने अपने दिल में तबाही देखी है ।।



क्यू ना दूरियां बरकरार रखी जाए 

हमारे नज़रे खबरदार रखी जाए 

और इत्तेफाकन अगर दिख जाए वो कहीं 

तो वो सादगी हमसे दूर रखे 

हमारी नज़रे तलबगार रखी जाए ।।



आप सभी का धन्यवाद 🙏🙏।।

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