||मा को तंग करना||
बचपन में मम्मी से जिद करना
₹1 के लिए सब से लड़ना
छोटा था कपड़े खूब गंदे करना
जमीन में लेट कर खूब नखरे दिखाना
फिर रुपए मिलते ही मां से जाकर कपड़े बदल वाना
हां कहां तक ठीक है मां को तंग करना।।
स्कूल जाते वक्त नाश्ते को बीच में छोड़ना
मम्मी डांट के सारा खिला दे बस यही मन्नत करना
हां कहां तक ठीक है मां को तंग करना।।
तजुर्बे खास की ओर बढ़ना था
हमें अच्छे से पढ़ना था।।
मगर हम तो शरारती थे
हमें तो बस खेलना था
हमें सुधारने के लिए मम्मी का हमें डांटना
फिर चुपके से रो आना
हां कहां तक ठीक है मां को तंग करना।।
कि वक्त बेवक्त हमारा चाय मांगना
दूध जैसे डॉक्टर ने मना किया हो
खाना भी कहां टाइम से खाते हैं हम
इन सब के पीछे मेरी मम्मी का मेरे लिए परेशान होना
हां कहां तक ठीक है मां को तंग करना।।
छोटी-छोटी बातों पर हमारा रूठ जाना
खुद को बहुत बड़ा बताकर शहंशाह जैसा इठलाना
और फिर मम्मी जी के गुस्सा होने पर
उनके बार-बार पैर छूना
और उनके मानते ही उनसे चाय बनाने को कहना
हां कहां तब ठीक है मां को तंग करना।।
कि हर बात में हमारा साथ देना
कभी हंसना तो कभी रो देना
कभी कभी उनका मेरी आदतों पर हंस कर रो आना
ना जाने कितना सोचना
हां कहां तक ठीक है मां को तंग करना।।
मम्मी को सब कुछ बताना
फिर हर बात में उनकी हामी भरवाना
उनसे अच्छी-अच्छी बातें करके
थोड़े-थोड़े नखरे करके
उनको हंसाना
जिंदगी भर आपको खुश रखूंगा मां यह बोल के अंदर से बहुत खुश हो जाना
इस मतलबी दुनिया में इतना प्यार दिखाना
देर रात होने पर आज भी आकर मुझे अपने हाथों से खिलाना
कहां तक सही है मां आपका हम पर इतना प्यार बरसाना
बहुत सा प्यार मम्मी जी!!
6 Comments
Bht hi badhiya
ReplyDeletePerfect one.....
ReplyDeleteAdbhut.....
ReplyDeleteReally ,great one
ReplyDeleteUttam....
ReplyDeleteAtiuttam....💖8💖
बहुत ही प्यारी रचना ❤️
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