||माना तू निराश है ||
हार मत खड़ा हो,
माना निराश है
तू उदास है
मगर फिर भी खुद की तलाश कर
तू अपनी ज़िन्दगी में
सबसे होशियार है
माना तू आज निराश है
कि लाखो की तादाद में
मुश्किलें तेरे आगे खडी है
चल उठ फिर से मुस्करा
अभी ज़िन्दगी पड़ी है ।।
कि कहने को टूट जाना
और फिर जुड़ जाना
इतना आसान नहीं
मगर जो तू न पा सके
ऐसा कोई मुकाम नहीं
तो कर हौसला ,
भिड़ जा मुसीबतों से
लहरा दे परचम अपने नाम का
माना तू निराश है
मगर मुझे तुझ पर विश्वास है, ।।
अब बहुत हुआ रोना-धोना
ज़िन्दगी का ताना-बाना
कि ज़िन्दगी में इस कदर
बिखर जाओ
खुद से खुद में निखर जाओ।।
अब है हौसला तो आ जा मैदान में
हम मिल कर सामना करते है
तू निपट लियो अपने वजूद से
और हम मुसीबतो का काम तमाम करते है ।।
कि ज़िन्दगी का एहसास जीना बाकी है
कुछ हंसना कुछ रोना बाकी है
और चल यार अब आ जा मैदान में
अभी हमारा कामियाब होना बाकी है।।
चल अच्छा अब खुद से तेरी
पहचान करता हूँ ,
मैं वही हूँ जिसे तू यानी मै अपनी
आत्मा कहता हूं।।
हाँ मैं ही तेरी अंर्तात्मा
जो कहती है कि
तू सबसे आगे है
तुझसा कोई नहीं है
याद रखना चाहे कोई कुछ भी कहे
मगर तुझे पाने की माँ-पापा ने मन्नत
मांगी थी |
इसलिए खुद को बदल मत
बस संभल जा
काबिल बन, तू श्रेष्ठ है
बस अभिमान मत करना ,
क्युकी मैं भी चुप हो जाता हूँ
जब अभिमान बोलता है |
8 Comments
Waah bahut khoob....
ReplyDeleteWow.....bahut ghoob....
ReplyDeleteGjb ki shaayri likhte...ho...bhai...really inspiring
ReplyDeleteHr ek line bahut hi behtreen hai..
ReplyDeleteU r really spb...👌🤘🤘
ReplyDeleteGreat work...keep it up..👍
ReplyDeletewhat an inspirational work
ReplyDeletemind blowing
keep it up....
Amazing....
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