मन जब बोलता है
विचारों की माला बुनता,
शब्द श्रंखला सतत चुनता,
बुद्धि को तनिक ही सुनता,
अतीत की घटनाओं को,
परत दर परत खोलता है ,
मन जब बोलता है।।
अपनी अलग कहानी लिखता,
वृत्तियां अपनी संजोए रखता,
वैराग्य उसे बड़ा है दुखता,
राग ,द्वेष ,लोभ ,अहंकार,
सब की मात्रा तोलता है
मन जब बोलता है।।
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कभी अतीत का स्मरण करता,
कभी कल्पनाओं में विचरण करता,
प्रश्न - उत्तर दोनों ही आचरण करता,
कभी उचित कभी अनुचित,
बिन पूछे मुंह खोलता है,
मन जब बोलता है।।
2 Comments
Nice one
ReplyDeleteकाफी संजीदा पंक्तियां
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