मन

 मन जब बोलता है 

मन


विचारों की माला बुनता,

शब्द श्रंखला सतत चुनता,

बुद्धि को तनिक ही सुनता,

अतीत की घटनाओं को,

परत दर परत खोलता है ,

मन जब बोलता है।।


अपनी अलग कहानी लिखता,

 वृत्तियां अपनी संजोए रखता,

 वैराग्य उसे बड़ा है दुखता,

 राग ,द्वेष ,लोभ ,अहंकार,

 सब की मात्रा तोलता है 

 मन जब बोलता है।। 

मन

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कभी अतीत का स्मरण करता,

कभी कल्पनाओं में विचरण करता,

प्रश्न - उत्तर दोनों ही आचरण करता,

कभी उचित कभी अनुचित,

बिन पूछे मुंह खोलता है,

मन जब बोलता है।।



Written by - Mr Vishesh  Bajpai (mradul)

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