देशभक्ति शायरी हिन्दी | Patriotic Shayari
थरथर कांपे विद्रोही जब हम मैदान में खड़े हुए
चर चर गर्दन उड़ गई जब वीर सपूतों के बाण चले
लाखों कर्तन कट गई मगर एक अश्रु ना आया था
भारत मां के खातिर बच्चे बच्चे ने लहू बहाया था।।
भूल गए तुम पन्ना को जिसने अपने बेटे का बलिदान दिया
भूल गए लक्ष्मी को जिसने नारी को सम्मान दिया
अंग्रेजों को ललकारा उसने उनका काम तमाम किया
फिर हमने सुनी वही एक कहानी थी
अरे खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
शिथिल हो जाए शरीर तो चट्टानों से लड़ जाते हैं
सर कट जाए फर्क नहीं हम खाली इधर से भी लड़ जाते हैं
याद है तुमको या भूल गए
बर्बरता से कैसी पृथ्वी की दोनों आंख निकाली थी
मगर भारत मां के पुत्र ने उनकी लाज बचा ली
राजपूत के वंशज ने दूध का कर्ज चुकाया था
मोहम्मद गौरी को बिना आंखों के मार गिराया था
मोहम्मद गौरी को बिना आंखों के मार गिराया था।।
लगता है वीर शिवाजी महाराणा को भूल गए
भूल गए इस धरती पर कैसा नन्हा बालक शेर से लड़ जाता है
आगे चलकर शासन कर शेरशाह कहलाता है।।
मगर यहां भी विजय बिगुल बजते बजते रह जाता है
अपना ही कोई भाई विद्रोही से मिल जाता है
जय सनातन भूमि पर एक फिर एक अपराध हो जाता है
मातृभूमि के खातिर भाई भी मारा जाता है
मातृभूमि के खातिर भाई भी मारा जाता है ।।
मातृभूमि के खातिर पीढ़ी पर पीढ़ी लड़ती आती हैं
यह भूमि ही ऐसी है
यह माए मांगे सुनी होने पर भी
बच्चों को रण कौशल सिखलाती हैं
बच्चों को रण कौशल सिखलाती है ।।
बच्चों ने भी मान रखा दूध का कर्ज चुकाया है
विश्वविजय तिरंगे को पूरे विश्व में फहराया है
पूरे विश्व में फाहराया है ।।
3 Comments
Awsome poetry Ravitanshu bhai , bahot achha likha aapne 😍😍🥰🥰🥰
ReplyDeleteAwsome poetry Ravitanshu bhai , bahot achha likha aapne 😍😍🥰🥰🥰
ReplyDeleteMind blowing write ups 👏🏼😍🙏🏼
ReplyDelete