||दोस्ती वाला प्यार||
उसकी बातों का शुमार है
हां वो मेरा यार है।।
और बताऊं क्यों,,, उसे इतना मानता हूं
क्योंकि पहले हुई थी दोस्ती
फिर हुआ प्यार है।।
उसकी बातें सच्ची लगती है
ना जाने क्यों वो इतनी अच्छी लगती है
उस से लड़ते हैं झगड़ते है
मगर करते इकरार हैं
हां हम करते हैं उससे प्यार है।।
कि रूठना मनाना आम बात है
मगर ना जाने क्यों उसकी आवाज सुने बिन रहा नहीं जाता था
उसके लिए पढ़ा नहीं जाता था
वह ना आती तो कोचिंग बोरिंग लगने लग जाती थी
उसके आते ही मानो रोनक आ जाती थी
उसके आते ही हम नटखट से सीधे बन जाते थे
हां हम तो हम थे यार ,,
उसके पीछे गलियों तक जाते थे।।
एक किस्सा।।
कि जो उसकी और मेरी मुलाकात का है
उसका चेहरा बस दरवाजे से चमक जाता है
हां उन्हें गलियों से अपना नाता जुड़ जाता है
क्यों क्योंकि उन गलियों में हमें उनका घर जो पता चल जाता है।।
अब हर चक्कर में वही गली याद आती थी
हमारी सुबह की चाय भी उन गलियों से कम लुभाते थी
उनकी गलियों में आना जाना हो गया
हां एक दोस्त रहता है मेरा बस वहां जाने का यही बहाना हो गया।।
कि सब से लड़ जाने वाला
उसको पलट कर जवाब नहीं देता था
वह बोलती थी नहीं नहीं बोल लो
मगर चाह कर भी बोल नहीं पाते थे
हां शायद उसे नहीं पता था
मगर हम उससे हुए अपने प्यार को निभाते थे।।
कोचिंग में सबसे अड़ियल थे हम
मगर उसकी बातें आसानी से मान जाते थे
हां उससे हुए अपने प्यार को निभाते थे।।
हम आज भी उसके लिए अपनी बुराइयों को मिटाते जा रहे हैं।
हां उससे हुए अपने प्यार को निभाते जा रहे हैं।।
4 Comments
Superb quality & heart touching
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteJeher...... really great
ReplyDeleteSuberb
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