एक तरफा मोहब्बत

एक तरफा मोहब्बत 

एक तरफा मोहब्बत

आज कल दिल में कोई मलाल रहता है 
क्यु बिछड़ गए वो हमसे ये सवाल रहता है 
और यूँ तो दिल रोता है पर आंखे नम नहीं 
क्युकी हमे अपनी नहीं बस उनकी खुशियों का ख्याल रहता है ।।

दिल ने कहा उस बेबफा की तस्वीर बदल दे 
गुनहगार कहे जमाना इससे पहले तक़दीर बदल दे 
और दोस्त ही दगा कर रहे तुझसे तेरे ओ मुसाफिर 
जो जख्म दे किसी अपने को ऐसी म्याने  शमशीर बदल दे ।।

हर तकलीफ को मिटाने के लिए मुस्कान काफी है 
सजदे में उसको रखने का अरमान बाकी है 
डूबने के लिए मस्त समन्दर नहीं ढूंढ़ते आशिक़ 
इश्क़ की गहराई में मरने को खुला आसमान काफी है ।।

वक्त मेरा हो या तुम्हारा पुराना नहीं होता 
हर समझदार व्यक्ति सयाना नहीं होता 
और यही तो  मोड़ है ज़िंदगी का जहाँ टूट कर सब बिखर जाते है 
क्यूकि हर दोस्त अपना और हर दुश्मन बेगाना नहीं होता ।।


एक तरफा मोहब्बत

पलके बिछाकर सारी दुनिया उन का इंतज़ार करती है 
उनकी हंसी की छलक पाने को हर हस्ती तरसती है 
और उन्हें देने वाले फूल पर भौरें भी नहीं मडराने देते है उनके चाहने वाले 
बस इसलिए तो वो मुझसे अपनी मोहब्बत का इज़हार करने से डरती है ।।

हुनर कह रहा है ना दिल में कोई मलाल रखियेगा 
लड़कियों की  पहुंच से इसे उछाल कर रखियेगा 
अरे क्या पता कब कौन कहाँ से  दिल तोड़ दे तुम्हारा 
इसलिए अपने दिल को माँ के चरणों में संभाल के रखिएगा ।।

हर वक्त सियासी किस्से अच्छे नहीं 
परिवार के लिये दिमागी रिश्ते अच्छे नही
और यूँ ही नहीं माँ कहती थी इज्जत मत उछालना किसी की 
जो पोंछ न सके आंसू किसी बहन के,
 मां के वो बच्चे अच्छे नहीं ।।

जब प्यार में धोखा मिलता है 
मर जाने को दिल करता है 
मगर हर गम को छुपाना पड़ता है मुझको यारो 
क्युकी मेरे बेवजह हसने से ही तो मेरे अपनों का दिल बहलता है ।।

अब हम न जाने क्यों इतने नादान हो गए 
जिनके चहिते थे उन्ही के लिए अनजान हो गए 
और दर - बदर भटके तब जा कर पता चला
हम तो वही रहे मगर कुछ इंसा ही उनके लिए भगवन हो गए ।।


एक तरफा मोहब्बत

बेतहाशा मोहब्बत कुछ रंग लायी थी 
वो पगली भरे बाजार में मुझे देख कर  मुस्करायी थी 
मानता हु की हंसी हम नहीं हंसी उनकी अदाए हैं
मगर शायद उस ने तो इस सावरे चेहरे में ही अपनी दुनिया बसाई थी ।।

उसमें थी कुछ बात पर उसे बता न सके 
दिल के जज्बात उससे जता न सके 
जब सारी दुनिया रूठी थी तब उसने साथ दिया 
मगर जब सब  साथ हैं तो उसे पास बुला न सके।।

मैंने एक लड़की से प्यार किया था  उसे अपना बनाने के लिए 
शादी करके उससे अपना आशिया बसाने के लिए 
मगर शायद मैं उसके काबिल  नहीं था 
इसलिए उस ईश्वर ने मुझे अपने पास बुला लिया उसे किसी और का बनाने की लिए ।।| 

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3 Comments

  1. Agar hm aapki itni achhi shayari ke liye koi comment kare to wo bhu km hai Koi gazal se aapki likhne ki tareef karu to usme bhi mai confuse hu ki taaref aapki karu yaa us kalam ki.....
    Likha hi itna lajawab hai khaaskar 1st wali.......ek line bht achhi lagi mujhe....
    Syd ise hi khte hai ki....
    Behtar se behtar ki talaash karo...
    Behtar nhu bht hi jyada behtreen likha hai.....

    ReplyDelete
  2. Kya baat h
    Adhbhut
    Mja aa gya pdhkr
    Kya likhte ho aap bde bhai

    ReplyDelete
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