मोहब्बत नहीं
जो जीतू तुम्हें तो मोहब्बत है क्या
तुम पर सब हार जाना मोहब्बत नहीं।।
जो जताऊ हक तुम पर तो मोहब्बत है क्या
बस फ़िक्र से तुम्हारा हाल पूछना मोहब्बत नहीं।।
जो देखूं बार बार तो मोहब्बत है क्या
बस बिन देखे तुम्हें हर पल याद करना मोहब्बत नहीं ।।
हर पल करता रहूं इजहार तो मोहब्बत है क्या
बिन बताए जताऊ प्यार तो मोहब्बत नही।।
हर बार रूठने पर तुम्हारे मनाऊं तो मोहब्बत है क्या
बिना मनाए चुपचाप तुम से लडू तो मोहब्बत नहीं।।
बस प्यार से बोलूं तो मोहब्बत है क्या
गुस्सा कर फिर मनाऊं तो मोहब्बत नहीं।।
की शामे तुम्हारी यादों में काटू तो मोहब्बत है क्या
जो तुम्हें भूल बस तुम्हारे कल के लिए सोचू तो मोहब्बत नहीं।।
जो इश्क़ के किस्से सुनाता फिरू तो मोहब्बत है क्या
चुपचाप तुम्हे बस अपना कहूं तो मोहब्बत नहीं ।।
दिन रात ज़ागू तुम्हारे लिए
सपने तुम्हारे ही बस आए सनम
फिर रूठना तेरा लाजिमी है तो
फिर मेरा मनाना लाजमी क्यू नहीं
और हक सक खफा वफा ये सब तुझसे है
अब इन्हे बेवजह जताऊ तो मोहब्बत है क्या
बिन बताए बस एक हंसी से मान जाऊं तो मोहब्बत नहीं।।
लिखता हूं बस तुझ पर मेरी जा ये बताता फिरू तो मोहब्बत है क्या
बिन बताए तुम पर गजले पढू तो मोहब्बत नहीं ।।
यार तुम बिन जीना गवारा है कहा
पर तुम्हे तंग करू तो हा ये मोहब्बत नहीं ।।
अलविदा मेरे यार ।।
3 Comments
Bht badhiya
ReplyDeleteBehad khoob
Lajawab 👏🏼👏🏼
ReplyDeleteAwesome
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