|| मेरी मंजिल ||
हर किसी की ज़िन्दगी में कोई ना कोई
मुकाम होता है जिसके लिए हम जी जान से मेहनत
करते है ,, है आप की लाइफ में ,, नहीं तो
बना लो | और है तो उसे पा लो |
एक मंजिल मेरी ज़िन्दगी की जिसमे जान बस्ती थी
जिसके लिए ही मेरी सुबह मेरी शाम होती थी
ना जाने क्यू दिन रात पढता था
अकेले रह कर बस किताबो से कहता
किताबो की सुनता था मैं
हाँ बस अपनी मंजिल के लिए
ही जीता था मैं
हाँ ऐसा नहीं है की दुनिया से मतलब नहीं
अपनी ज़िन्दगी को खुल कर जीता था मै
क्युकी मुझे ही तो मेरे सारे रिश्ते , सारे बंधन
निभाना है ,
अरे अपनों के लिए जी रहा हु क्युकी मुझे
देश पर मरना है
की वादे सबसे करते जाना है
संग अपने उनका हर गम ले जाना है
और देते भी है कभी-कभी तोड़ते भी है
बस इस लिए मुझे अपनी मंजिल पा कर दिखाना है
और हाँ मुझे पता है की सब लोग एक जैसे नहीं होते
एक छोटी सी हार में टूट जाते है तो आप लोगो के लिए
ये मुसाफिर टूट कर बिखर नहीं ।
तू खुद की ढाल बन।।
कठिनाइयां गहना है तेरा ।
देके सारा जहां तू ऐसी मिसाल बन ।।
की पहाड़ सा कठोर बन।
मानवता की छोर बन।।
उड़ मत बे ढंग सा बस गगन कि ओर देख
टिकी हो बुनियाद जिस पर पतंग की वो डोर बन ।
हा तू कठोर बन ।।
माना हारा है मगर एक विश्वाश जगा
तू बनेगा काबिल ये आश जगा
तू है अनोखा,, तू खुद को आजमा तो सही
तू उड़ेगा बादलों की बुलंदियों पर बस एक पंख फैला तो सही।।
किस्मत के भरोसे,,, ना सह ना गुजर होगी
जिंदगी यू ही किसी के आगे दर बदर होगी ।
अब कर हौसला ,आ जा मैदान में
शहर में तेरी ही चर्चा ,,हर गली में तेरी ही खबर होगी ।।
3 Comments
Keh do aandhiyon se ki aukat me rahe...,
ReplyDeleteHm paro se nhi hauslo se uda karte hai
SUPER Excellent.....
ReplyDeleteIse kehte h asli TALLENT
VERY good
ReplyDeleteVery nice